MA Semester-1 Sociology paper-II - Perspectives on Indian Society - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2682
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - भारतीय समाज के परिप्रेक्ष्य

प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?

उत्तर -

मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' की विशेषतायें

मार्क्स के द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद में निम्नलिखित विशेषतायें पाई जाती हैं :-

1. भौतिक वस्तुओं का महत्व - मार्क्स का द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद विचारों की अपेक्षा भौतिक वस्तुओं को अधिक महत्व देता है तथा विकास की प्रक्रिया का आधार भी भौतिक पदार्थों में आन्तरिक विरोध बताता है।

2. विरोधी भावों का समन्वय - मार्क्स का मानना है कि विकास सदैव परस्पर विरोधी रूपों से होता है। इनके अनुसार, द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद का आधार विचारों के क्षेत्र में वाद-प्रतिवाद तथा सम्वाद न होकर आर्थिक वर्ग तथा वर्ग संघर्ष ही है।

3. आमूल परिवर्तन की अवस्थायें - द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद के अनुसार एक - विरोधी समागम, दो गुणात्मक परिवर्तन और तीन निषेध का निषेध आमूल परिवर्तन तीन अवस्थाओं से गुजरता है।

4. परिवर्तन एक सतत् एवं जटिल प्रक्रिया - मार्क्स के अनुसार, द्वन्द्ववाद से गुणात्मक परिवर्तन होते रहते हैं। मार्क्स अपने द्वन्द्ववाद में गुणात्मक परिवर्तन द्वारा क्रान्ति के औचित्य को सिद्ध करते हैं। शोषित वर्ग धीरे-धीरे उन्नति ही नहीं करेगा वरन् वह क्रान्ति के रूप में तीव्र गति से अपने में परिवर्तन करेगा। मार्क्स क्रान्ति को उचित मानते हैं क्योंकि इसके द्वारा ही पूँजीवाद को नष्ट करके शोषित वर्ग का उत्थान हो सकता है।

5. पूर्ण समग्रता की भावना - मार्क्स का द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद वस्तुओं और घटना - प्रवाहों को अलग-अलग न मानकर एक-दूसरे से सम्बन्धित मानता है तथा पूर्ण समग्रता की व्याख्या करता है।

6. आलोचनात्मक एवं क्रान्तिकारी - मार्क्स का द्वन्द्ववाद प्रत्येक वस्तु के अन्तर्विरोध का अध्ययन करता है। वह वस्तुस्थिति का यथार्थवादी अध्ययन है, इसलिये स्वभावतः आलोचनात्मक है। वह सर्वहारा वर्ग को उसकी ऐतिहासिक भूमिका का अहसास कराता है, इसलिये क्रान्तिकारी भी है

मार्क्स मानव इतिहास के विकास की व्याख्या भौतिक वस्तुओं की परिवर्तनशील स्वाभाविक प्रकृति तथा इनमें पारस्परिक आन्तरिक विरोध के आधार पर करता है। भौतिक जगत का विकास क्रमबद्ध न होकर भी अबाध गति से निरन्तर होता रहता है। इस विकास में वाद, प्रतिवाद तथा सम्वाद का क्रम निरन्तर जारी रहता है। इनमें से प्रत्येक अपने पूर्वगामी का विरोधी होता है तथा सम्वाद स्वयं कुछ समय के पश्चात् वाद बन जाता है तथा सम्पूर्ण प्रक्रिया फिर से शुरू हो जाती है।

मार्क्स के द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद को जौ के दाने द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है जिस प्रकार जौ के दाने को जब भूमि में बो दिया जाता है तो वह अंकुरित हो जाता है। जौ का दाना स्वयं तो नष्ट हो जाता है, परन्तु उसके अंकुर से एक पौधा बन जाता है उस पौधे में अनेक जौ के दाने स्वयं लग जाते हैं। कुछ समय बाद जौ का यह पौधा स्वयं समाप्त हो जाता है और दानों से फिर अनेक पौधे उगाये जा सकते हैं। जौ का यह दाना वाद है, पौधा प्रतिवाद तथा फल सम्वाद है।

मार्क्स के सिद्धान्त की आलोचना

मार्क्स के इस सिद्धान्त की निम्नलिखित बिन्दुओं पर आलोचना की जा सकती है -

1. मार्क्स ने यह कभी सिद्ध करने का प्रयास नहीं किया कि पदार्थ किस प्रकार गतिशील होता है। बेवर के शब्दों के, "द्वन्द्वात्मक की धारणा अत्यन्त अस्पष्ट है। इसको मार्क्स ने कहीं स्पष्ट नहीं किया।"
2. मार्क्स ने हीगल के सिद्धान्त को अपनाया परन्तु उसको पदार्थ पर लागू कर उसके मूल तत्व को ही नष्ट कर डाला।
3. यह माना जाता है कि संघर्ष मानवीय विषयों के प्रमुख भूमिका निभाता है, परन्तु मार्क्स ने उसको विश्वव्यापी रूप में उपयुक्त करके उसे भ्रामक बना दिया है।
4. मार्क्स ने द्वन्द्वात्मक में विकास की शक्ति पशुबल है तथा क्रांति ही विकास का एकमात्र साधन है। यह गलत धारणा पर आधारित है।
5. पदार्थ के बारे में यह उचित रूप से नहीं कहा जा सकता कि पदार्थ अपनी चेतना के. कारण विरोधी तत्व को जन्म देता है। वास्तविकता यह है कि पदार्थ में परिवर्तन आंतरिक चेतना के कारण नहीं होता, बल्कि यह परिवर्तन ब्राह्य शक्तियों के कारण होता है।"
6. मार्क्स अपने विरोधी विचारों में भटक जाता है कि मनुवय परिस्थितियों का निर्माण करता है या परिस्थितियाँ मनुष्य का।
7. मार्क्स ने भौतिकवाद को आर्थिक शक्तियों का आधार माना है, किन्तु विश्व का विकास शक्तियों के माध्यम से ही होता है, यह कैसे स्वीकार किया जाये?

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- लूई ड्यूमाँ और जी. एस. घुरिये द्वारा प्रतिपादित भारत विद्या आधारित परिप्रेक्ष्य के बीच अन्तर कीजिये।
  2. प्रश्न- भारत में धार्मिक एकीकरण को समझाइये। भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले चार लक्षण बताइये?
  3. प्रश्न- भारत में संयुक्त सांस्कृतिक वैधता परिलक्षित करने वाले लक्षण बताइये।
  4. प्रश्न- भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं की विवेचना कीजिये जो इसमें अभिसरण. एवं एकीकरण लाने में सहायक हैं? प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये? समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये?
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  6. प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  7. प्रश्न- आधुनिक भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  8. प्रश्न- समकालीन भारतीय संस्कृति की चार विशेषतायें बताइये।
  9. प्रश्न- भारतीय समाज के बाँधने वाले सम्पर्क सूत्र एवं तन्त्र की विवेचना कीजिए।
  10. प्रश्न- परम्परागत भारतीय समाज के विशिष्ट लक्षण एवं संरूपण क्या हैं?
  11. प्रश्न- विवाह के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की व्याख्या कीजिए।
  12. प्रश्न- पवित्रता और अपवित्रता के बारे में लुई ड्यूमा के विचारों की चर्चा कीजिये।
  13. प्रश्न- शास्त्रीय दृष्टिकोण का महत्व स्पष्ट कीजिये? क्षेत्राधारित दृष्टिकोण का क्या महत्व है? शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
  14. प्रश्न- शास्त्रीय एवं क्षेत्राधारित दृष्टिकोणों में अन्तर्सम्बन्धों की विवेचना कीजिये?
  15. प्रश्न- इण्डोलॉजी से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।.
  16. प्रश्न- भारतीय विद्या अभिगम की सीमाएँ क्या हैं?
  17. प्रश्न- प्रतीकात्मक स्वरूपों के समाजशास्त्र की व्याख्या कीजिए।
  18. प्रश्न- ग्रामीण-नगरीय सातव्य की अवधारणा की संक्षेप में विवेचना कीजिये।
  19. प्रश्न- विद्या अभिगमन से क्या अभिप्राय है?
  20. प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य से आप क्या समझते हैं? सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख 'विशेषतायें बतलाइये? प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये?
  21. प्रश्न- सामाजिक प्रकार्य की प्रमुख विशेषतायें बताइये?
  22. प्रश्न- प्रकार्यवाद की उपयोगिता का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- प्रकार्यवाद से आप क्या समझते हैं? प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये?
  24. प्रश्न- प्रकार्यवाद की प्रमुख सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
  25. प्रश्न- दुर्खीम की प्रकार्यवाद की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये? दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये? मर्टन की प्रकार्यवाद की अवधारणा को समझाइये? प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
  26. प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार, प्रकार्य की क्या विशेषतायें हैं, बताइये?
  27. प्रश्न- प्रकार्य एवं अकार्य में भेदों की विवेचना कीजिये?
  28. प्रश्न- "संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य" को एम. एन. श्रीनिवास के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
  29. प्रश्न- डॉ. एस.सी. दुबे के अनुसार ग्रामीण अध्ययनों में महत्व को दर्शाइए?
  30. प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में एस सी दुबे के विचारों को व्यक्त कीजिए?
  31. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के ग्रामीण अध्ययन की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
  32. प्रश्न- एस.सी. दुबे का जीवन चित्रण प्रस्तुत कीजिये व उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  33. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे के अनुसार वृहत परम्पराओं का अर्थ स्पष्ट कीजिए?
  34. प्रश्न- डॉ. एस. सी. दुबे द्वारा रचित परम्पराओं की आलोचनात्मक दृष्टिकोण व्यक्त कीजिए?
  35. प्रश्न- एस. सी. दुबे के शामीर पेट गाँव का परिचय दीजिए?
  36. प्रश्न- संरचनात्मक प्रकार्यात्मक विश्लेषण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- बृजराज चौहान (बी. आर. चौहान) के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताइए।
  38. प्रश्न- एम. एन श्रीनिवास के जीवन चित्रण को प्रस्तुत कीजिये।
  39. प्रश्न- बी.आर.चौहान की पुस्तक का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- "राणावतों की सादणी" ग्राम का परिचय दीजिये।
  41. प्रश्न- बृज राज चौहान का जीवन परिचय, योगदान ओर कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  42. प्रश्न- मार्क्स के 'वर्ग संघर्ष' के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये? संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
  43. प्रश्न- संघर्ष के समाजशास्त्र को मार्क्स ने क्या योगदान दिया?
  44. प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' से आप क्या समझते हैं? मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
  45. प्रश्न- मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
  46. प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- ए. आर. देसाई का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य में क्या योगदान है?
  48. प्रश्न- ए. आर. देसाई द्वारा वर्णित राष्ट्रीय आन्दोलन का मार्क्सवादी स्वरूप स्पष्ट करें।
  49. प्रश्न- डी. पी. मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  50. प्रश्न- द्वन्द्वात्मक परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- मुकर्जी ने परम्पराओं का विरोध क्यों किया?
  52. प्रश्न- परम्पराओं में कौन-कौन से निहित तत्त्व है?
  53. प्रश्न- परम्पराओं में परस्पर संघर्ष क्यों होता हैं?
  54. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक सांस्कृतिक समन्वय कैसे हुआ?
  55. प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या है?
  56. प्रश्न- मार्क्स और हीगल के द्वन्द्ववाद की तुलना कीजिए।
  57. प्रश्न- राधाकमल मुकर्जी का मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  58. प्रश्न- मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख मान्यताएँ क्या हैं?
  59. प्रश्न- रामकृष्ण मुखर्जी के विषय में संक्षेप में बताइए।
  60. प्रश्न- सभ्यता से आप क्या समझते हैं? एन.के. बोस तथा सुरजीत सिन्हा का भारतीय समाज परिप्रेक्ष्य में सभ्यता का वर्णन करें।
  61. प्रश्न- सुरजीत सिन्हा का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृतियाँ बताइये।
  62. प्रश्न- एन. के. बोस का जीवन चित्रण एवं प्रमुख कृत्तियाँ बताइये।
  63. प्रश्न- सभ्यतावादी परिप्रेक्ष्य में एन०के० बोस के विचारों का विवेचन कीजिए।
  64. प्रश्न- सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- भारतीय समाज को समझने में बी आर अम्बेडकर के "सबआल्टर्न" परिप्रेक्ष्य की विवेचना कीजिये।
  67. प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किये गये धार्मिक कार्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  68. प्रश्न- दलितोत्थान हेतु डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा किए गए शैक्षिक कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
  69. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : (1) दलितों की आर्थिक स्थिति (2) दलितों की राजनैतिक स्थिति (3) दलितों की संवैधानिक स्थिति।
  70. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर का जीवन परिचय दीजिये।
  71. प्रश्न- डॉ. अम्बेडर की दलितोद्धार के प्रति यथार्थवाद दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन का आधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के वैचारिक स्वरूप एवं पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के माध्यम से अध्ययन किए गए देवी आन्दोलन का स्वरूप स्पष्ट करें।
  74. प्रश्न- हार्डीमैन द्वारा दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य से अपने अध्ययन का विषय बनाये गए देवी 'आन्दोलन के परिणामों पर प्रकाश डालें।
  75. प्रश्न- डेविड हार्डीमैन के दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य के योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
  76. प्रश्न- अम्बेडकर के सामाजिक चिन्तन के मुख्य विषय को समझाइये।
  77. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के विचारों एवं कार्यों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।

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